साइमन कमीशन भारत कब आया था? | Simon Commission in hindi

Simon Commission Bharat Kab Aaya – भारत में सन 1919 में एक शासन अधिनियम पारित किया गया था, जिसे हम साइमन कमीशन के नाम से जानते हैं। अक्सर साइमन कमीशन से संबंधित प्रश्न UPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं लेकिन कई छात्रों को पूरी तरह से यह जानकारी नहीं होती है कि साइमन कमीशन भारत कब आया (what is simon commission in hindi) या साइमन कमीशन भारत क्यों आया था? जिसके कारण अक्सर छात्र इस प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ होते हैं।

लेकिन आज के इस लेख में हम साइमन कमीशन के आगमन और भारतीय राजनीति पर इसके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे और जानेंगे कि साइमन कमीशन भारत कब आया (simon commission kya hai)। तो आइए बिना देरी किए लेख को शुरू करते हैं।

साइमन कमीशन भारत कब आया था? (simon commission bharat kab aaya tha)

साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत  के बंबई शहर में आया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य राजनीतिक संगठनों द्वारा व्यापक विरोध और बहिष्कार के बीच में भी यह साइमन कमीशन भारत पहुंचा था। साइमन कमीशन आयोग के आगमन का पूरे भारत के कई शहरों और कस्बों में काले झंडे के साथ विरोध किया गया था।

साइमन कमीशन क्या था? (simon commission kya tha in hindi)

Rare Pic Simon Commission

साइमन कमीशन का गठन सन 1927 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत सरकार अधिनियम 1919 में पेश किए गए भारतीय संवैधानिक सुधारों का मूल्यांकन करने के लिए की गई थी। यह आयोग 7 सदस्यों से बना हुआ था जिसमें सभी ब्रिटिश ही शामिल थे।

साइमन कमीशन आयोग के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे जो एक प्रमुख वकील और संसद सदस्य भी थे। इसके अन्य सदस्यों में क्लेमेंट एटली, वर्नोन हार्टशोर्न, एडवर्ड कैडोगन, जॉर्ज लेन-फॉक्स, हैरी लेवी-लॉसन और विलियम मैरिस शामिल थे।

साइमन कमीशन भारत क्यों आया था? (simon commission bharat kyon aaya tha)

  • ब्रिटिश लिबरल सरकार ने देश में बढ़ते सांप्रदायिक दंगों और फूट के दौरान भारत में एक साइमन आयोग बेचने की योजना बनाई। उनका इरादा आयोग को भारतीय सामाजिक और राजनीतिक जीवन के नकारात्मक प्रभाव के साथ लौटने का था।
  • 1929 में लिबरल पार्टी को डर था कि वह इंग्लैंड में आगामी चुनाव हार जाएंगे। इसके परिणाम स्वरूप वे लेबर पार्टी को भारतीय समस्या को हल करने का अवसर नहीं देना चाहते थे यह विश्वास करते हुए कि साम्राज्य के हित उनके हाथों में सुरक्षित नहीं होंगे।
  • स्वराज दल ने सुधार की मांग की लेकिन ब्रिटिश सरकार ने प्रस्तावित सौदे को बहुत सस्ता माना जो संभवत आप पार्टी को अनाकर्षक बना देगा और धीरे-धीरे उसके पतन का कारण बनेगा।
  • साइमन कमीशन को भारत इसीलिए लाया गया था ताकि भारत द्वारा पेश किए गए भारतीय संवैधानिक सुधारों का मूल्यांकन किया जा सके।

भारत में साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया गया था? (bharat mein simon commission ka virodh kyon hua tha)

simon commission wapas jao
simon commission wapas jao | साइमन कमीशन भारत कब और क्यों आया था?

साइमन कमीशन का भारत में विरोध किया गया था क्योंकि यह पूरी तरह से ब्रिटिश सदस्यों से बना था और आयोग में कोई भारतीय सदस्य नहीं था। हालांकि साइमन कमीशन में शामिल लार्ड इरविन द्वारा ही किसी भी भारतीय को इस कमीशन में शामिल होने का सुझाव दिया गया था।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुस्लिम लीग, जिन्ना और अन्य राजनीतिक संगठनों ने इसे ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय लोगों के हितों और आकांक्षाओं की उपेक्षा करने के एक जानबूझकर किए गए प्रयास के रूप में देखा गया था।

भारत में इसे श्वेत कमीशन कह कर बुलाया गया था और इस साइमन कमीशन का बहिष्कार किया गया था।

लेकिन यहां पर कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने साइमन कमीशन का स्वागत भी किया था जिसमें मुस्लिम लीग, मद्रास की जस्टिस पार्टी, ऑल इंडिया अछूत फेडरेशन पंजाब की यूनियन पार्टी और मोहम्मद रफी के नेतृत्व में मुस्लिम लीग शामिल थे।

साइमन कमीशन का विरोध और लाला लाजपत राय की मृत्यु (simon commission ke virodh aur lala lajpat rai ke mrityu)

साइमन कमीशन विरोध के दौरान हैं लाला लाजपत राय की मृत्यु भी हुई थी। साइमन कमीशन का विरोध लाहौर में लाला लाजपत राय जी काफी ज्यादा कर रहे थे। असहयोग आंदोलन वापस लिए जाने के बाद और चौरी चौरा घटना के बाद भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में ठहराव आ गया था लेकिन वह ठहराव साइमन कमीशन के आने के बाद से टूट गया।

लाहौर में ही लाला लाजपतराय काले झंडे दिखाकर साइमन गो बैक का नारा लगा रहे थे और इसी समय लाहौर में विरोध करने वालों के ऊपर लाठीचार्ज की गई थी। ऐसे समय में लाला लाजपत राय जी पर भी लाठीचार्ज किया गया और वह उसी समय मृत्यु को प्राप्त हुए।

लाला लाजपत राय जी ने मृत्यु से पूर्व अपने मुख से कुछ शब्द कहे थे आज मेरे ऊपर बरसी हर एक लाठी की चोट अंग्रेजों के ताबूत की कील बनेगी।

साइमन कमीशन की सिफारिशें क्या थी?

साइमन आयोग की सिफारिशों को भारतीय संवैधानिक सुधारों पर रिपोर्ट नामक एक रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया था। साइमन कमीशन रिपोर्ट ने भारतीय संवैधानिक ढांचे में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव की सिफारिश की थी जैसे कि –

  • द्वैध शासन को समाप्त करना
  • प्रांतों में प्रतिनिधि सरकारों की स्थापना करना।
  • साइमन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में उच्च न्यायालय को भारत सरकार के अधीन रखा जाना चाहिए और प्रांतों में जिम्मेदार शासन शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
  • रिपोर्ट ने बर्मा को भारत से अलग करने के साथ-साथ सिंह और उड़ीसा में नए प्रांतों की स्थापना की भी सिफारिश की।
  • इसके अलावा साइमन कमीशन रिपोर्ट के अनुसार यह सुझाव था कि भारतीय परिषद को बरकरार रखा जाना चाहिए लेकिन उन्हें कम शक्तियां ही प्राप्त होंगी।

हालांकि रिपोर्ट ने भारतीय स्वतंत्रता या स्वशासन के लिए कोई सिफारिश नहीं की जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य राजनीतिक संगठनों की मुख्य मांग थी।

कांग्रेस ने मांग की थी कि भारत को डोमिनियन का दर्जा दिया जाए और उसके अपने मामलों पर पूर्ण नियंत्रण हो लेकिन इस रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी शामिल नहीं था।

साइमन कमीशन का भारतीय राजनीतिक पर क्या प्रभाव पड़ा? (simon commission ke bharte rajniti par kya prabhav padta hai)

भारत में साइमन कमीशन के आगमन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसने ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीय लोगों में बढ़ते असंतोष और भारतीय स्वतंत्रता की मांग पर प्रकाश डाला।

आयोग की सिफारिशें हालांकि भारतीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरी नहीं करती थी लेकिन यह दर्शाती है कि ब्रिटिश सरकार भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में कुछ बदलाव करना चाहती थी।

साइमन कमीशन भारत कब आया – FAQ’s

साइमन कमीशन के समर्थक कौन थे?

साइमन कमीशन के समर्थक में सेंट्रल सिंह संघ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में कुछ हरिजन संगठन ऑल इंडिया अछूत फेडरेशन मद्रास जस्टिस पार्टी पंजाब यूनियन पार्टी और मुस्लिम लोग शामिल थे।

साइमन कमीशन का गठन कब हुआ?

साइमन कमीशन का गठन 8 नवंबर 1927 को हुआ था।

साइमन कमीशन के अध्यक्ष कौन थे?

साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।

साइमन कमीशन भारत कब और क्यों आया था?

साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत के संवैधानिक सुधारों का मूल्यांकन करने के लिए आया था।

साइमन कमीशन का दूसरा नाम क्या है?

साइमन कमीशन का दूसरा नाम भारतीय संवैधानिक आयोग है।

साइमन कमीशन में कुल कितने सदस्य थे?

साइमन कमीशन सात ब्रिटिश सांसदों का एक समूह था, जिसका गठन 8 नवंबर 1927 को भारत में संवैधानिक सुधारों का अध्ययन करने के लिए किया गया था और इसका मुख्य कार्य मंतंग्यु चेम्सफोर्ड सुधारों की जांच करना था। 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत आया। भारतीय आंदोलनकारियों ने साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाए और जमकर विरोध किया।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने जाना कि साइमन कमीशन भारत कब आया? (simon commission bharat kyon aaya) उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको साइमन कमीशन के गठन और आगमन से संबंधित सभी जानकारियां मिल पाई होंगी।

यदि आप इस विषय से संबंधित कुछ अन्य जानकारियां पाना चाहते हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

Sails

Leave a Comment