भारत एक समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ एक तीर्थ यात्रा की भूमि है। देशभर में कई पवित्र स्थल और तीर्थ स्थल है, जहां दुनियाभर से श्रद्धालुओं और पर्यटक यात्रा करने आते हैं। लेकिन भारत में चारों धाम की मान्यता काफी ज्यादा है।
इसलिए लगभग सभी भारतवासी चारों धाम की यात्रा जरूर करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला धाम कौन सा है? यदि नहीं तो आज के इस लेख में हमारे साथ अंत तक जरूर बने रहे।
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि भारत का पहला धाम कौन सा है? साथ ही हम उसके इतिहास महत्व और हिंदू धर्म में महत्व के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। तो आइए बिना देरी किए लेख को शुरू करते हैं।
भारत का पहला धाम कौन सा है?
भारत में सबसे पहला धाम बद्रीनाथ धाम को कहा जाता है। बद्रीनारायण मंदिर भी कहते हैं। बद्रीनाथ धाम भारत के उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
मंदिर समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वतमाला के बीच में स्थित है। मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और बर्फ के ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है। बद्रीनाथ धाम का निकटतम शहर जोशीमठ है जो 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह एक प्रसिद्ध भगवान विष्णु हिंदू मंदिर है जहां पर लगभग सभी हिंदू यात्रा करने आते हैं और भगवान विष्णु के दर्शन करते हैं। यह बहुत प्राचीन मंदिर है और इस मंदिर के निर्माण से संबंधित या माना जाता है कि इसका निर्माण 9वीं सदी में हुआ था।
यह मंदिर काफी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है और जाड़े के समय यह बर्फ से बिल्कुल ढक जाती है। इसके कारण यह मंदिर केवल 6 महीनों के लिए ही दर्शन के लिए खुली रहती है।
भारत के चार धाम कौन से हैं?
भारत का पहला धाम तो बद्रीनाथ है लेकिन इसके अन्य चार धाम के नाम इस प्रकार हैं –
- बद्रीनाथ, उत्तराखंड
- द्वारका, गुजरात
- जगन्नाथ पूरी, ओडिसा
- रामेश्वरम, तमिलनाडु
यह चार धाम यात्रा का सही क्रम है और इसे उत्तराखंड के चार धाम भी कहा जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बद्रीनाथ धाम भारत के चार पवित्र धामों में से एक छोटा सा चार धाम यात्रा है। यहां के अन्य तीन मंदिर गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ है। कई लोग ऐसा मानते हैं कि भारत के चार धाम गंगोत्री धाम, यमुनोत्री धाम, केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम है। परंतु यह केवल एक छोटा चार धाम है।
ऐसा माना जाता है कि दार्शनिक और हिंदू धर्म के सुधारक आदि शंकराचार्य जी ने नौवीं शताब्दी में बद्रीनाथ धाम की स्थापना की थी। लेकिन अगर हम अन्य कथाओं की मानें तो बद्रीनाथ धाम का उल्लेख विष्णु पुराण महाभारत और स्कंद पुराण जैसी कई प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।
ऐसा भी माना जाता है कि कई बार मंदिर को कुछ अलग ढंग से बनाया भी गया है और इस समय जो वर्तमान संरचना है वह 18 वीं शताब्दी में गढ़वाल राजाओं द्वारा बनाई गई थी।
बद्रीनाथ धाम का इतिहास
बद्रीनाथ धाम का इतिहास प्राचीन काल से है और यह माना जाता है कि पांडव ने अपनी स्वर्ग यात्रा के दौरान इस पवित्र स्थल की यात्रा की थी। जिसके कारण ही उन्हें स्वर्ग मिला था।
बद्रीनाथ मंदिर की उत्पत्ति से संबंधित कई तरह की कहानियां प्रचलित है। कुछ हिंदू लोगों का मानना है कि आठवीं सदी में इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य जी ने की थी। पहले यहां पर एक बौद्ध मठ हुआ करता था। लेकिन आदि शंकराचार्य जी ने इसे हिंदू मंदिर में परिवर्तित कर दिया।
यह कहानी इसलिए प्रचलित है, क्योंकि बौद्ध विहार में एक मंदिर है जिसकी वास्तुकला इसी मंदिर के समान है।
एक अन्य कथा यह प्रचलित है कि 9 वीं सदी में आदि शंकराचार्य जी ने इसे एक तरह स्थल के रूप में यहां पर स्थापित किया था और वह 6 महीने के लिए इसी स्थान पर रहते थे और अन्य 6 महीने के लिए वे केदारनाथ में चले जाते थे।
एक अन्य कथा यह प्रचलित है कि जब बद्रीनाथ स्थापना स्वयं भगवान नारायण ने की है। नारायण भगवान ने यहां पर काफी तपस्या की। लेकिन यहां पर बहुत ही ज्यादा हिमपात होता था और तपस्या के समय भगवान विष्णु हिम से ढक गए थे।
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और बाद में लक्ष्मी जी ने बद्री पेड़ का रूप धारण किया और उन्हें सभी मौसमों में आने वाले वर्षा गर्मी धूप बर्फ इत्यादि से बचाया। और इसीलिए भगवान विष्णु ने इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ रखा क्योंकि माता लक्ष्मी ने उनकी रक्षा बद्री पेड़ का रूप धरकर की थी।
हिंदू धर्म में बद्रीनाथ धाम का महत्व
हिंदू धर्म में बद्रीनाथ मंदिर का बहुत ही ज्यादा महत्व है। सभी हिंदू अनुयायी लोग मानते हैं कि बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने से उनके सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान विष्णु को समर्पित है और यह माना जाता है कि यह अगर कोई भी व्यक्ति इस छोटे चार धाम की यात्रा कर लेता है तो उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके मन में अधिक भक्ति और भावना भी जागृत हो जाता है।
इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक काले पत्थर की मूर्ति है जिसे स्वयंभू माना जाता है। यह मूर्ति एक ध्यान मुद्रा में है और कहा जाता है कि भगवान ने इसी स्थान पर हजारों वर्षों तक ध्यान किया था। इस मंदिर में आपको नारद नर और नारायण और गरुण इत्यादि सभी अन्य देवताओं की मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी।
हिंदू धर्म में लगभग सभी लोगों का यही मानना है कि यहां पर भगवान विष्णु स्वयं मंदिर में निवास करते हैं और वह अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य धन और खुशी का आशीर्वाद देते हैं।
बद्रीनाथ धाम हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और इसका अत्यधिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। मंदिर का समृद्ध इतिहास महत्व और स्थान इससे अध्यात्मिक साधकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान बनाता है।
बद्रीनाथ धाम से संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें
बद्रीनाथ धाम मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। या मंदिर पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली की वास्तुकला में बनाया गया है और कई बेहतरीन पत्थरों से बना है। भगवान विष्णु की मूर्ति काले पत्थर से बनी है और यह चतुर्भुज है। लेकिन इससे संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी हैं जिसे आपका जाना जरूरी है।
- तप्त कुंड बदरीनाथ मंदिर के पास स्थित एक गर्म पानी का झरना है और ऐसा माना जाता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले गर्म पानी के झरने में डुबकी लगाने से भक्तों के शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।
- इस मंदिर के पास एक नीलकंठ छोटी भी है जो एक राज्य से बर्फ से ढका पहाड़ है। चोटी को बद्रीनाथ धाम से देखा जा सकता है। यह 6000 597 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे गढ़वाल हिमालय की सबसे पवित्र चोटियों में से एक माना जाता है।
- बद्रीनाथ धाम मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर भगवान विष्णु की चरण पादुका भी स्थित है। या पादुका एक चट्टान है और यह माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहां कदम रखा था।
बद्रीनाथ धाम कैसे जाएं?
बद्रीनाथ जाने के तीन तरीके हैं।
आप सड़क मार्ग द्वारा बद्रीनाथ धाम जा सकते हैं। जिसके लिए आपको कोई बस या गाड़ी करनी पड़ेगी। बद्रीनाथ धाम सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से कई बसें और टैक्सी चलती है। रबर से टैक्सी के माध्यम से आसानी से बद्रीनाथ धाम पहुंच सकते हैं।
आप रेल मार्ग द्वारा भी बद्रीनाथ धाम पहुंच सकते हैं। यहां आने के लिए आपको सबसे पहले निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में आना होगा। उसके बाद ऋषिकेश स्टेशन से 297 किलोमीटर की दूरी पर बद्रीनाथ धाम स्थित है।
आप हवाई अड्डे के माध्यम से भी यहां पहुंच सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जौलीग्रांट हवाई अड्डा है। यहां से बद्रीनाथ धाम 317 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भारत का पहला धाम कौन सा है? FAQ’s
Q. भारत का दूसरा धाम कौन सा है?
Ans- भारत का दूसरा धाम द्वारका है जो कि गुजरात में स्थित है।
Q. 4 धाम यात्रा का क्रम क्या है?
Ans- 4 धाम यात्रा का क्रम जगन्नाथपुरी, द्वारकधीस, बद्रीनाथ,रामेश्वरम है।
Q. भारत में 4 धाम किसने बनाया?
Ans- भारत में 4 धाम बनाने का श्रेय आदि शंकरचार्य को जाता है।
Q. बद्रीनाथ धाम का नाम कैसे पड़ा?
Ans- बद्रीनाथ धाम का नाम इस स्थान पर उगाने वाले बद्री पेड़ों के कारण पड़ा। हालांकि अब यह पेड़ यहाँ से विलुप्त हो गए है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने जाना कि भारत का पहला धाम कौन सा है? उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको भारत के पहले धाम बद्रीनाथ धाम के बारे में सभी जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आप बद्रीनाथ धाम के बारे में या अन्य चार धाम के बारे में जानकारियां पाना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख