कैबिनेट मिशन भारत कब आया

कैबिनेट मिशन – द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत की आजादी का भी समय था। और इसी समय ब्रिटिश सरकार ने भारत में एक कैबिनेट मिशन योजना भेजी थी। अक्सर लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में यह प्रश्न जरूर आता है कि कैबिनेट मिशन भारत कब आया जिसका सही उत्तर ज्यादातर बच्चे नहीं दे पाते हैं।

क्योंकि उन्हें इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं है। तो आइए आज के इस लेख में हम इसी विषय पर जानकारी प्राप्त करते हैं और यह देखते हैं कि कैबिनेट मिशन भारत कब आया? तो आइये लेख को को शुरू करें।

कैबिनेट मिशन भारत कब आया?

कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत आया था। इस मिशन के आने पर कई भारतीय जनता खुश हुए थे और कई भारतीय जनता नाराज भी हुई थी। कैबिनेट मिशन जब भारत आया तो कुछ लोगों ने स्वतंत्रता की दिशा में एक कदम के रूप में मिशन का स्वागत किया और कई लोगों को ब्रिटिश सरकार के इरादों पर भी संदेह था।

19 फरवरी 1946 को ब्रिटिश सरकार द्वारा कैबिनेट मिशन की घोषणा की गई थी और यह 24 मार्च 1946 को दिल्ली में सबसे पहले पहुंचा था।

कैबिनेट मिशन योजना क्या था?

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन में एक नई सरकार बनी थी। और ब्रिटेन की लेबर पार्टी सरकार ने भारत की समस्याओं को देखते हुए 3 लोगों को इस समस्या का समाधान के साथ भारत भेजा था। भारत की समस्याओं को देखते हुए ही ब्रिटेन की सरकार ने एक योजना का गठन किया था जिसे ही कैबिनेट मिशन योजना कहा जाता है।

इस योजना में 3 लोगों को शामिल किया गया था, जो कैबिनेट मिशन का नेतृत्व कर रहे थे। इस मिशन के अध्यक्ष सर स्टैनफोर्ड क्लिप्स को बनाया गया था। इसके साथ ही इसमें अन्य 2 सदस्य लॉर्ड पैथिक लोरेंस और एबी एलेग्जेंडर शामिल थे।

कैबिनेट मिशन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

कैबिनेट मिशन भारत कब आया
कैबिनेट मिशन भारत कब आया

भारत में कैबिनेट मिशन योजना की आवश्यकता ब्रिटिश शासन ने स्वतंत्रता की बढ़ती मांग के कारण उत्पन्न हुई।

ब्रिटिश सरकार को यह समझ आ गया था कि अब वे अपने औपनिवेशिक साम्राज्य पर पकड़ नहीं रख सकते हैं और इस समय भारत को स्वतंत्र कर देना ही ज्यादा अच्छा होगा।

ब्रिटिश सरकार ने महसूस किया कि स्वतंत्रता के बाद भारत कई भागों में विभाजित हो सकता है। यानी कि या देश के छोटे-छोटे राज्यों में टूट जाएगा जिसके लिए इस क्षेत्र में अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों को बनाए रखना भी मुश्किल हो जाएगा।

कैबिनेट मिशन योजना को अखंड भारत बनाने के 1 तरीके के रूप में प्रस्तावित किया गया था जो देश की एकता सुनिश्चित कर रहा था।

अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के एक नेता जिनका नाम जिन्ना था वह भारत में तो रहना चाहते थे लेकिन वह मुसलमानों के लिए एक संरक्षण भी चाहते थे। क्योंकि उन्हें यह डर था कि आजादी के बाद भारत एक हिंदू राष्ट्र बन जाएगा और मुस्लिमों को अस्वीकार कर दिया जाएगा।

अंग्रेजन और भी मुस्लिम लीग के इस बात का समर्थन किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग से बातचीत करने के बाद 16 मई 1946 को एक नई सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा। उसके बाद 24 मार्च 1946 को यह गठन भारत आया जिससे ही कैबिनेट मिशन कहा जाता है।

कैबिनेट मिशन को अस्वीकार क्यों किया गया?

कैबिनेट मिशन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा तो स्वीकार किया गया था लेकिन अखिल भारतीय मुस्लिम लीग ने इसे खारिज कर दिया गया था। मुस्लिम लीग ने एक अलग मुस्लिम राज्य बनाने की मांग की थी जिसे आज हम पाकिस्तान के नाम से जानते हैं। कांग्रेश भी इस योजना से पूरी तरह से खुश नहीं थी क्योंकि उसे लगा कि वह प्रांतों को स्वायत्तता प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

कैबिनेट मिशन योजना की स्वीकृति ने देश में अशांति को जन्म दिया जिसमें हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा बढ़ गई। ब्रिटिश सरकार ने महसूस किया कि अब वह अब स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकते और 1947 में भारत और पाकिस्तान को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया।

कैबिनेट मिशन के प्रमुख प्रस्ताव क्या थे?

कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत कुछ प्रमुख प्रस्ताव इस प्रकार थे

  • योजना ने सरकार की तीन स्तरीय संघीय प्रणाली का प्रस्ताव रखा जिसमें रक्षा विदेशी मामलों और संचार की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की थी।
  • इस प्रस्ताव के अंतर्गत प्रांतों को तीन श्रेणियों में बांटा जाना था जिसमें प्रत्येक समूह का एक अलग संविधान होगा। प्रांतों का समूह ई करण भाषाई सांस्कृतिक और प्रशासनिक समानता के आधार पर किया जाना था।
  • इस योजना में देश के अधिकारों के बिल का मसौदा तैयार करने के लिए एक मौलिक अधिकार समिति की स्थापना का प्रस्ताव था फर्स्ट ऑफिस में अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान किया जिसमें शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और रखरखाव का भी अधिकार शामिल है।
  • इस योजना ने केंद्रीय विधान मंडल में अनुपातिक प्रतिनिधित्व की एक प्रणाली प्रस्तावित की जो मुसलमानों सीखो और दलितों सहित सभी समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देगी।
  • इस योजना में प्रस्तावित किया गया था कि रियासतों को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया जाएगा। हालांकि राज्य कैबिनेट मिशन योजना का हिस्सा नहीं थे और उनका भविष्य अनिश्चित बना रहा।

कैबिनेट मिशन का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा

कैबिनेट मिशन योजना के परिणाम भारत पर अच्छा और बुरा दोनों ही था।

  • कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत एक नए सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा गया था। इस नई सरकार के गठन में कांग्रेस और भारतीय मुस्लिम लीग चुनाव में खड़ी हुई थी जिसमें से कांग्रेस को 296 में से 208 सीटें मिली।
  • कांग्रेश के जीत के बाद वायसराय में एक अंतरिम सरकार के गठन की बात कही गई थी जिसमें यह घोषणा की गई थी कि इस अंतरिम सरकार के गठन में कांग्रेस के 6 सदस्य, मुस्लिम लीग के 5 सदस्य और 3 सदस्य अन्य अल्पसंख्यकों की ओर से शामिल किए जायेंगे।
  • 1946 को जब अंतरिम सरकार बनाने के लिए जवाहरलाल नेहरू को आमंत्रित किया गया था तो मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया था। इसके कारण भारत में काफी ज्यादा दंगे भी हुए और कई लोग मारे गए। 16 अगस्त को मुस्लिम लीग ने इसके विरोध में दंगा किया था इसके कारण इसे भारतीय इतिहास का काला दिवस भी कहा जाता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने जाना कि कैबिनेट मिशन भारत कब आया और इस मिशन के क्या उद्देश्य थे? उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको भारत का मिनट मिशन योजना के बारे में पूरी जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आप इस विषय से संबंधित कोई अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

कैबिनेट मिशन भारत कब आया – FAQ’s

कैबिनेट मिशन भारत कब और क्यों आया था?

कैबिनेट मिशन सन 1946 में भारत में आया था जिसका उद्देश्य संविधान सभा का गठन करना था।

कैबिनेट मिशन में कितने सदस्य हैं?

कैबिनेट मिशन में 3 सदस्य शामिल थे जिसमें सर स्टॉपवर्ड क्रिप्स एवी एलेग्जेंडर और लॉर्ड पैथिक लोरेंस है।

भारत में किस प्रधानमंत्री ने कैबिनेट मिशन भेजा था?

भारत में ब्रिटिश प्रधानमंत्री प्लेन मेंट इटली ने कैबिनेट मिशन भारत में भेजा था।

कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष कौन थे?

कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष लॉर्ड बेंटिक लॉरेंस थे जो कि भारत सचिव थे।

24 मार्च 1946 को क्या हुआ था?

24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन भारत के दिल्ली शहर में पहुंचा था।

Leave a Comment