भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है?

भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है – दोस्तों, फायर फाइटर हमेशा से एक शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसमें बहादुरी सोच और धीरज की आवश्यकता होती है। ऐतिहासिक रूप से फायर फाइटर एक ऐसा प्रोफेशन था, जिसमें केवल पुरुषों का ही वर्चस्व था।

लेकिन भारत के ऐसी एक महिला फायर फाइटर बनी, जिन्होंने पुरुषों के वर्चस्व को खत्म कर दिया। तो क्या आप जानते हैं कि भारत की पहला महिला फायर फाइटर कौन है? यदि नहीं तो आज के इस लेख में हमारे साथ अंत तक जरूर बने रहे।

इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है? और साथ ही हम उनके फायर फाइटर बनाने के सफर को भी जानेंगे। तो आइए बिना देरी केले को शुरू करते हैं।

भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है?

भारत की “पहली महिला फायर फाइटर हर्षिनी कण्हेकर” बनी थी। इन्होंने लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती दी और फायर फाइटिंग में अग्रणी के रूप में उभरी। हर्षिनी कन्हन कर एक ऐसी महिला थी जिन्होंने सबसे पहले महिला के रूप में फायर फाइटिंग में हिस्सा लिया और वह सभी चीजें करके दिखाएं जो एक पुरुष फायर फाइटर कर सकता था।

हर्षिनी कण्हेकर कौन है?

हर्षिनी कण्हेकर महाराष्ट्र के नागपुर शहर में पैदा हुई एक ऐसी महिला है, जिन्होंने सबसे पहले एक महिला के रूप में फायर फाइटिंग इंजीनियरिंग की है। यह महाराष्ट्र के नागपुर शहर में ही पली-बढ़ी हैं और यह एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी।

हर्षिनी कण्हेकर पढ़ाई में तो एक एवरेज स्टूडेंट ही थी लेकिन यह हमेशा से ही देश की वर्दी को पहनना चाहती थी जो देश को बचा सकते हैं। इन्होंने लेडी अमृतबाई डागा कॉलेज से साइंस में ग्रेजुएशन किया है। इन्होंने NCC और कई सोशल कैंपस मैं बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है और इसमें सफल भी हुई है।

हर्षिनी का फायर फाइटिंग में प्रवेश

हर्षिनी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्हें फायर इंजीनियरिंग का कोर्स करना था। और इसके लिए इन्होंने 2002 में फायर इंजीनियरिंग कोर्स के लिए आवेदन किया।

जब यह पहली बार इस कोर्स के लिए आवेदन करने गई थी तो वहां पर कोई भी ऐसी लड़की नहीं थी जो इस कोर्स के लिए एप्लीकेशन भर रही हो। और कॉलेज में जाते वक्त भी इन्हें सब लोग बहुत घूर कर देख रहे थे और हंस भी रहे थे। क्योंकि पहली बार कोई महिला फायर इंजीनियरिंग का कोर्स करने वाली थी।

26 साल की उम्र में हर्षिनी नागपुर के नेशनल फायर सर्विस कॉलेज में प्रवेश पाने वाली पहली महिला बनी। उसके बाद 2005 में यह पूरी तरह से भारत की पहेली महिला फायर फाइटर बन गई। उसके बाद हर्षिनी 2006 में गुजरात में मेहसाणा फायर स्टेशन में शामिल हुई। शहर तेल और राष्ट्रीय गैस निगम का दूसरा सबसे बड़ा तटवर्ती उत्पादन क्षेत्र है।

कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद हर्षिनी कण्हेकर ने भारत में एक फायर फाइटर पेशे में महत्वपूर्ण उपलब्धियां और योगदान दिया है। इन्होंने कई फायर फाइटिंग ऑपरेशन में भाग लिया और आग दुर्घटनाओं से कई जान और संपत्ति को बचाया है। हर्षिनी फायर फाइटिंग के अलावा गिटार भी बजाते हैं और इन्हें ड्रम बजाने और फोटोग्राफी करने का भी काफी शौक है।

इसके अलावा यह एक स्पेशल मोटरबाइक भी है और इन्होंने प्रवीण उर शंकर, जो कि खुद भी एक स्पेशल मोटरबाइकर हैं, से शादी भी की है।

हर्षिनी कण्हेकर को मिली उपलब्धियां

हर्षिनी कन्हन कर को उनकी बहादुरी और काम के प्रति समर्पण के लिए सम्मानित भी किया गया है।

इनके नाम कई रिकॉर्ड भी है जैसे इन्होंने कारगिल की दुनिया की सबसे ऊंची मोटर बाइक चलाने वाली सड़कों खारदुंग ला मैं इन्होंने बाइक चलाई।

हर्षिनी कण्हेकर को पीएम मोदी जी द्वारा “भारत की लक्ष्मी” कहकर बुलाया है जो कि एक सम्मान की बात है।

वर्ल्ड की पहली महिला फायर फाइटर कौन है? | World ki pahli Mahila Fire Fighter

अभी हमने यह जाना कि भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है परंतु आइये अब हम विश्व की पहली महिला फायर फाइटर के बारे में भी जानते हैं।

सबसे पहले दुनिया की पहली महिला फायर फाइटर के रूप में “मौली विलियम्स का नाम दर्ज किया गया था। जो कि एक अफ्रीकी अमेरिकी महिला है और यह सन 1915 में सैन फ्रांसिस्को फायर डिपार्टमेंट की सदस्य बन गई और वहां पर इन्होंने फायर फाइटर के रूप में कई सालों तक काम किया।

फायर फाइटर कौन होते हैं?

फायर फाइटर पहले से Trained professionals होते हैं जो आग और अन्य खतरनाक स्थितियों से जुड़ी आपातकालीन स्थितियों का सामना करते हैं यह शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित विभिन्न प्रकार की जगह पर काम करते हैं और सरकारी एजेंसियों या निजी कंपनियों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

फायर फाइटर्स आमतौर पर टीम के रूप में कार्य करते हैं और आग बुझाने लोगों और जानवरों को बचाने और प्राकृतिक आपदाओं जैसे अन्य आपातकालीन स्थितियों को कम करने के लिए विशेष उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करते हैं।

फायर फाइटर्स लोगों को अग्नि सुरक्षा के बारे में शिक्षित भी करते हैं और इमारतों और अन्य संरचनाओं के अग्नि सुरक्षा निरीक्षण करने में भी शामिल होते हैं।

फायरफाइटर्स का क्या कार्य होता है?

फायर फाइटर्स के कुछ मुख्य कार्य इस प्रकार हैं –

  • फायरफाइटर्स का सबसे मुख्य कार्य अग्नि से रोकथाम करना होता है और जनता को आग से बचाना होता है।
  • फायर फाइटर्स अग्नि सुरक्षा के बारे में जनता को शिक्षित करने और अग्नि संस्थाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इमारतों और अन्य संरचनाओं का अग्नि सुरक्षा निरीक्षण करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • फायर फाइटर्स को यह सुनिश्चित करने के लिए कि अपने उपकरणों का रखरखाव और मरम्मत करनी चाहिए कि यह हमेशा अच्छी स्थिति में हो जब इसकी आवश्यकता हो।
  • फायरफाइटर्स की मुख्य जिम्मेदारियां फायर फाइटिंग टेक्निक्स आपातकालीन चिकित्सा देखभाल और खतरनाक सामग्री प्रतिक्रिया प्रशिक्षण लेना है।
  • फायरफाइटर्स का एक मुख्य कार्य भी है कि वह अपने ट्रेनिंग और एजुकेशन के माध्यम से अपने कौशल और ज्ञान में सुधार करने की लगातार कोशिश भी करते रहे।

भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है? FAQ’s

अमेरिका में पहली महिला फायर फाइटर कौन थी?

मौली विलियम्स अमेरिका में पहली महिला फायर फाइटर बनी थी।

ब्रिटेन में पहली महिला फायर फाइटर कब थी?

सन 1982 में ब्रिटेन में पहली महिला फायर फाइटर सू बैटन थी, जो लंदन फायर ब्रिगेड में शामिल हुई थी।

कैलिफोर्निया में कितनी महिला अग्निशामक है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक कैलीफोर्निया में कुल 38000 फायर फाइटर्स है जिनमें से लगभग 6% महिलाएं महिला अग्निशामक है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने जाना कि भारत की पहली महिला फायर फाइटर कौन है? उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको पहली महिला फायर फाइटर के बारे में जानकारी मिल पाई होगी।

यदि आप इस विषय से संबंधित कुछ जानकारियां प्राप्त करना चाहते हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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