1947 से पहले भारत का नक्शा कैसा था? – 2023

1947 से पहले भारत का नक्शा कैसा था ? यदि आप नहीं जानते है तब आपका हमारे पोस्ट पर स्वागत है जहा आज इस आपको भारत के पुराने नक़्शे (1947 Se Pahle Bharat Ka Naksha) के बारे में बताने जा रहा हु जहा साथ साथ आपको यह भी बताऊंगा की आज आप जिस तरह का भारत देखते है वह भारत काफी बदल चूका है।

परन्तु आज भी देखा जाये तो बहुत सरे लोगो को यह पता ही है की भारत में ही पहले पाकिस्तान हुआ करता था और भारत की आजादी के बाद भारत से पाकिस्तान अलग हो गया अब ऐसे में आज का वर्तमान भारत जो है वह आप सब जानते है परन्तु हम पुराने भारत के नक़्शे के बारे में जानने की कोशिश करते है तो चलिए फिर हम इस पोस्ट को शुरू करते है।

आज का भारत कैसा है?

देखिये यदि हमें पहले के भारत के नक़्शे और भारत के बारे में जानना है तब हमें सबसे पहले आज के भारत के बारे में थोड़ा विस्तार से जानना जरुरी है तभी जाकर आप पहले वाले भारत के बारे में जान पाएंगे। आज के भारत का नक्शा मेने नीचे बताया हुआ है जहा आज के भारत में 28 राज्य है और आज भारत एक विकासशील देश है नीचे आप वर्तमान भारत के नक़्शे को देख सकते है जहा भारत की राजधानी नई दिल्ली है और यह भारत का केंद्र भी है। जहा से भारत के सभी राजनैतिक फैसलों पर विचार किया जाता है।

1947 Se Pahle Bharat Ka Naksha

और अभी के समय में भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री का नाम नरेन्द्र भाई दामोदरदास मोदी है और राष्ट्रपति का नाम द्रौपदी मुर्मू है

1947 से पहले भारत का नक्शा

भारत का नक्शा आज के समय से बहुत ही अलग था भारत का 1947 से पहले का नक्शा आप नीचे दी हुई इमेज में देख सकते है जहा जब पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा हुआ करता था और भारत की आजादी के बाद का नक्शा पूरी तरह से बदल गया।

1947 से पहले भारत का नक्शा कैसा था?
भारत का नक्शा विभाजन से पहले
1947 के बाद भारत का नक्शा

भारत का प्राचीन इतिहास

जैसा की आप जानते ही है भारत का इतिहास काफी प्राचीन है परन्तु प्राचीन होने के साथ साथ भारत के इतिहास को अलग अलग श्रेणी में बांटा भी गया है अब यहाँ सबसे पहले भारत में प्रागेतिहासिक काल देखने को मिलता है और प्रागेतिहासिक काल के भी 3 भाग थे जो की इस प्रकार है

पुरापाषाण कल मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल

और इन तीनो कालो का समय भी अलग अलग था जैसे जैसे प्राचीन लोग आगे बढ़ते गए वैसे वैसे उन्होंने अलग अलग कालो को भी दर्शाया है अगर हम इन तीनो कालो की बात विस्तार से करे तो

पुरापाषाण काल – इस काल का समय लगभग 5,000,00 ईशा पूर्व से लेकर 50,000 ईशा पूर्व तक हुआ था।
इस काल में उस समय के लोग खाने के सामान को एक जगह पर संग्रह करके रखते थे ताकि उसे बाद में भी उपयोग किया जा सके।

मध्यपाषाण काल – इस काल का समय लगभग 10,000 ईशा पूर्व से लेकर 7,000 ईशा पूर्व तक हुआ था।
इस काल में लोगो ने खाद्य सामग्री को रखने के साथ साथ पशुओ का पालन भी शुरू कर दिया था जिससे उन्हें दूध और खेती करने में फायदा मिल सके।

नवपाषाण काल – इस काल का समय लगभग 9,000 ईशा पूर्व से लेकर 2,500 ईशा पूर्व तक हुआ था।
यह काल थोड़ा आधुनिक हो चूका था इस काल में लोगो ने एक समूह में रहना शुरू कर दिया था ताकि कोई भी जंगी जानवर से उन्हें सुरक्षा मिल सके। समूह में रहने के साथ साथ एक ही जगह पर सभी जीवन उपयोगी चीज़ो को रख कर बहुत समय तह एक ही स्थान पर निवास करने लगे थे और रहने के लिए घर बनाने का कार्य भी इस काल के लोगो ने बखूबी सिख लिया था।

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अभी हमने जिस प्राचीन इतिहास के बारे जाना है यह भारत का एक दम सबसे शुरुवाती इतिहास है अब इसके बाद के समय की यदि हम बात करे तब ताम्रपाषण युग भी देखने को मिलता है इस काल में लोगो ने धातुओं के पत्रों को बनाना सिख लिया था। और बहुत जीवन को यापन करने के बहुत पुराने समय को छोड़ कर आधुनिकता को काफी हद तक अपना लिया गया था।

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आपको यह तो पता ही होगा की भारत के इतिहास में बहुत सारी सम्भ्यताये भी रही है जैसे ही सिंधु संभ्यता , हड़प्पा सभयता और इसी के साथ साथ बहुत सारे राजाओ की हुकूमत भारत में हुई थी परन्तु उस समय कोई भी हिंदी भाषा को नहीं जनता था उस समय देवनागरी भाषा का ज्यादा उपयोग किया जाता था।

ताम्रपाषाण काल के बाद सिंधु घाटी सभ्यता शुरू हुई इस सभ्यता में नगर योजना पर ज्यादा जोर दिया गया था यानि की अलग अलग व्यक्तियों के समूह को अलग अलग नगर में रहने का नियम बनाया गया। जीवन यापन करने के लिए आर्थिक तौर पर लोगो को बदलते देखा गया जहा भारत में प्रथम बार उद्द्योग और धंधे की शुरुवात हुई। बहुत सारे लोगो ने शिल्प कला का ज्ञान भी सीख लिया था।

इसके बाद सिंधु सभ्यता का भी पतन हो गया था पतन होने का कारण अलग अलग इतिहासकारो ने अलग अलग बताये है।

सिंधु घाटी सभ्यता के बाद बहुत सारे काल हुए जो की इस पोस्ट में बताना संभव नहीं है क्युकी यह पोस्ट बहुत बड़ा हो जायेगा जहा अगर में आपको संक्षिप्त में बताऊ तो सिंधु सभ्यता के बाद वैदिक सभ्यता जैन धर्म , बौद्ध धर्म, मगध साम्राज्य , मौर्या साम्राज्य गुप्त वंश , वर्धन वंश और विजय नगर साम्राज्य हुए। सभी वंश और साम्राज्य की जीवन यापन करने की पद्धति अलग अलग हुआ करती थी।

इसी के साथ साथ दक्षिण भारत का इतिहास भी रहा जो की अलग अलग वंश के रूप में था जहा चेर वंश , चालुक्य वंश ,पल्लव वंश ,राष्ट्रकूट वंश , चौल साम्राज्य इत्यादि सभी वश और साम्राज्य हुए इन सब के बारे में विस्तार से आप हमारे पोस्ट अन्य पोस्ट में आगे पढ़ सकते है। अभी तक आपको जो मेने बताया है वह प्राचीन इतिहास था। इसके बाद मध्यकालीन इतिहास आ जाता है जिसके बारे में हम नीचे पढ़ेंगे।

मध्यकालीन इतिहास

चौहान वंश , दिल्ली सल्तनत , मामूलक वंश , खिलजी वंश , तुगलक वंश , खिलजी वंश , सैय्यद वंश लोदी वंश , और सबसे बड़ा साम्राज्य मुग़ल साम्राज्य हुआ जिसने कई सालो तक भारत पर राज्य किया और भारत को आर्थिक रूप से क्षति भी पहुंचने का कार्य किया। मुग़ल साम्राज्य में ही सभी सशक्त हुमायूँ , शेरशाह सूरी , अकबर , जहांगीर , शाहजहां , औरंगजेब हुए और इसके बाद इस मुग़ल साम्राज्य का भी पतन हो गया।

इसी के बाद अगर हम भारत के इतिहास के बारे में बात करे तब सीखा धर्म और मराठा साम्राज्य आये है और ये मध्यकालीन भारत के इतिहास के आखिरी साम्राज्य थे। इसके बाद भारत का आधुनिक इतिहास आता है।

1947 से पहले भारत का इतिहास

इसके बाद भारत में यूरोप देशो का आगमन शुरू हो चूका था जहा उसके बाद अलग अलग युद्ध हुए और बहुत सरे आंदोलन भी हुए और भारत के आजाद होने की शुरुवात भी इसी इतिहास में आती है जहा भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन कर्नाटक का युद्ध ,बंगाल का इतिहास,प्लासी का युद्ध,प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध,सहायक संधि,लार्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति,1857 की क्रांति,दक्कन,चंपारण आंदोलन ,बिजोलिया किसान आंदोलन,खिलाफत आंदोलन इत्यादि हुए और इन सब आंदोलन के बाद भारत को आजादी मिल गई थी।

भारत का गणतंत्र दिवस

भारत में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हर साल मनाया जाता है परन्तु भारत में जब 1935 में भारत सर्कार अधिनियम लागु किआ गया था उसके हटाकर कर भारत में पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को सविधान लागु किया गया था और इस दिन हर साल भारत में यह एक दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत के सविधान को डॉ भीमराव आंबेडकर जी ने बनाया था और समय समय में भारत के सविधान में संशोधन भी किया जाता है।

भारत का भूगोल

भारत के भूगोल में हम सबसे पहले यदि भारत के कुल क्षेत्रफल की बात करे तो भारत का कुल एरिया ४५४५४वर्ग किलोमीटर है। और भारत एशिया महाद्वीप में स्थित है भारत में काफी विविधताएं है जिसके कारन यह सभी देशो से अपनी छवि को अलग रखता है। इसी के साथ मैदानी और पठारी दोनों तरह के स्थल पाए जाते है भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणियाँ पाई जाती है और दक्षिण की और समुद्र है भारत अपने आप में एक बहुत बड़ा देश है जहा 3 मौसम पाए जाते है और सभी अपने अपने समय में भारत में मौसमी गतिविधिया करते है।

भारत की राजधानी दिल्ली कब बनी

भारत की रजधानी पहले कलकत्ता हुआ करती थी परन्तु 13 फ़रवरी 1931 को भारत की नई राजधानी दिल्ली को बनाया गया इसी के साथ साथ भारत की नई राजधानी दिल्ली को बनाने की घोषणा बहुत पहले ही कर दी गई थी जहा दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में ही की गई थी तब से लेकर आज तक भारत की राजधानी दिल्ली ही है। और सारे राजनैतिक मुद्दे दिल्ली से भी नियंत्रित किये जाते है।

1947 से पहले भारत का नक्शा – FAQs

अखंड भारत का नक्शा

अखंड भारत का नक्शा आज के भारत से अलग था जिसे आप पोस्ट में देख सकते है

भारत का चित्र

भारत का चित्र भी आप हमारे इस पोस्ट में आकर देख सकते है

भारत का पुराना नक्शा

भारत का पुराना नक्शा आज के भारत के नक़्शे से काफी अलग है जिसे आप पोस्ट पढ़ते समय देख सकते है

भारत का पूरा नक्शा

भारत का आज के समय में पूरा नक्शा अलग है जिसे आप पोस्ट के अंदर आकार देख सकते है

और अंत में

मुझे उम्मीद है आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी काफी पसंद आयी होगी जहा आज आपको हमने हमारे इस पोस्ट के माध्यम से 1947 से पहले भारत का नक्शा कैसा था? के बारे में जानकारी दी है यदि आपको हमारे पोस्ट में किसी भी तरह की कोई त्रुटि नज़र आती है तब आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते है या फिर हमें संपर्क भी कर सकते है।

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