भारत में कौन सी शासन प्रणाली है – भारत एक संसदीय लोकतंत्र हैं। अर्थात शासन व्यवस्था के रूप में ब्रिटेन की तरह संसदीय प्रणाली को अपनाया हैं। लोक तंत्र दो शब्दो से मिलकर बना हैं, “लोक+तंत्र” लोक का अर्थ हैं – जनता तथा तंत्र का अर्थ है, शासन।
जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं उन्हें हमारी भारतीय राजनीति की विभिन्न प्रकार के शासन से परिचित होना चाहिए। क्यूंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसे सवाल हमे देखने को मिल जाते हैं।
तो ऐसे में हम आज के इस लेख में ये जानेंगे कि भारत में कौन सी शासन प्रणाली है? तो चलिए लेख को शुरू करते हैं और जानते है की भारत की शासन प्रणाली और इनकी विशेषताएं क्या है –
भारत में कौन सी शासन प्रणाली है।
हमारे भारत में शासन की संसदीय प्रणाली को चुना गया है, क्योंकि यह हमारे भारतीय प्रचलन में अधिक फायदेमंद और कारगर है। इसका चयन करते समय हमारे संविधान के निर्माताओं ने टिकाऊपन की जगह जवाबदारी को महत्त्व दिया, परंतु आज के वर्तमान समय में राजनीतिक दलों की मंशा केवल सत्ता प्राप्त करने कि रह गई है।
संसदीय शासन व्यवस्था से तात्पर्य
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की वह प्रणाली होती है, जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका के माध्यम से प्राप्त करती है और विधायिका के ही प्रति उत्तरदायी होती है।
इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका एक-दूसरे से परस्पर संबंधित होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया (राष्ट्रपति) और सरकार का मुखिया (प्रधानमंत्री) दोनों अलग-अलग व्यक्ति होते हैं।
संसदीय प्रणाली की विशेषताएँ
संसदीय प्रणाली की विशेषताएँ निम्नलिखित है
बहुमत प्राप्त दल का शासन:
आम तौर पर (लोकसभा) चुनाव में सर्वाधिक सीटों पर विजय प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल की सरकार बनती है। हमारे भारत देश में राष्ट्रपति, लोकसभा में बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल के नेता को सरकार बनाने के लिये निमंत्रित करते हैं। राष्ट्रपति बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करते हैं, और बाकी बचे मंत्रियों की नियुक्तियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से परामर्श लेकर करते हैं।
नाममात्र एवं वास्तविक कार्यपालिका:
भारत की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति केवल नाम मात्र की कार्यपालिका होती है, तथा प्रधानमंत्री और उसका मंत्रिमंडल ही वास्तविक कार्यपालिका होती है।
केंद्रीय नेतृत्व:
संसदीय शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी होते हैं। और मंत्रिपरिषद के प्रमुख होते हैं।
द्विसदनीय विधायिका:
संसदीय प्रणाली वाले देशों में द्विसदनीय विधायिका की प्रणाली को अपनाया जाता है। भारत में भी निम्न सदन तथा उच्च सदन की व्यवस्था की गई है।
संसदीय शासन व्यवस्था के दोष
- नीतिगत अविरामता का अभाव: संसदीय शासन प्रणाली मे शासन की प्रकृति स्थायी नहीं होती है, जो परिणामस्वरूप नीतियों में अविरामता का अभाव बना रहता है
- अकुशल व्यक्तियों द्वारा शासन: संसदीय शासन प्रणाली में राजनीतिक कार्यपालिका के मेंबर लोकप्रियता के आधार पर चयन होता हैं, उनके पास विशेष ज्ञान का अभाव होता है।
- गठबंधन की राजनीति: संसदीय शासन प्रणाली ने अस्थिर गठबंधन सरकारों का भी निर्माण किया है। इसने सरकारों को सुशासन की व्यवस्था करने के बजाय सत्ता में बने रहने के लिए उनपर अधिक ध्यान लगाने के लिये बाधित किया जाता है।
संसदीय व्यवस्था को स्वीकार करने के कारण
नीचे हमने संसदीय व्यवस्था को स्वीकार करने के कई कारण बताए हैं
उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवस्था:
प्रसिद्द संविधान विशेषज्ञ के.एम.मुंशी के अनुसार, भारत ने संसदीय प्रणाली में जिम्मेदारी व जवाबदेहिता के सिद्धांत का शामिल किया जाता है, जिससे यह प्रणाली भारतीय जन मानव के अनुकूल हो चुकी थी।
भारतीय समाज की प्रकृति:
भारत विश्व में सर्वाधिक जाति प्रकार वाला समाज था। इसलिये संविधान निर्माताओं ने संसदीय व्यवस्था को अपनाया ताकि सरकार में प्रत्येक वर्ग के लोगों का मार्गदर्शन सुनिश्चित हो सके।
भारत में कौन सी शासन प्रणाली है – FAQ’s
Q. सरकार के कितने भाग होते हैं?
Ans- भारतीय संविधान में शक्तियों का बटवारा – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संबंध। सरकार की तीन शाखाएँ हैं, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका।
Q. भारत मे विधायिका क्या हैं?
Ans- संघ की विधानमंडल, जिसे हम सब संसद कहते है, जिसमे एक राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं, जिन्हें हम राज्य सभा और लोकसभा के रूप में जानते है। प्रत्येक सदन को अपनी पिछली बैठक से छह महीने के अंदर बैठक करना होता है।
Q. केंद्र सरकार को कौन चलाता हैं?
Ans- हमारे भारत के संविधान में मंत्रिमंडल को कार्यपालिका का पद प्राप्त है, तथा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल भारत सरकार के पूरे प्रशासन की जिम्मेदारी होती है।
निष्कर्ष:
आज के इस लेख मे हमने जाना भारत में कौन सी शासन प्रणाली है। उम्मीद हैं, कि इस लेख के द्वारा आपको भारत की संसदीय प्रणाली और संसदीय विशेषता, के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। इसके अलावा हमने इनके दोष और भारत द्वारा क्यों इस प्रणाली को चुना गया।
इसके बारे में भी विस्तारपूर्वक चर्चा की है। यदि आप इस लेख से संबंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो हमें हमे कॉमेंट कर के पूछ सकते हैं। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।