पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून क्या है – 2023

पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून – भारत में तलाक लेना एक काफी भावनात्मक निर्णय होता है। भारत में ज्यादातर तलाक के लिए कानून प्रक्रिया महिलाओं के लिए बनी है। लेकिन बहुत ही कम लोगों ने हिंदी में पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून के बारे में सुना होगा। इसीलिए आज के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं।

आज के इस लेख में हम हिंदी में पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि एक पुरुष को की किन कानूनी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है।

पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून क्या है

भारत में यह देखा गया है कि हर साल कोर्ट में पति और पत्नी के तलाक से संबंधित कई सारी केस दर्ज होती हैं। और इनमें से लगभग 10,000 के झूठी निकलती है। घरेलू हिंसा अधिनियम (498)a का कई महिलाएं फायदा भी उठा रही हैं जबकि यह अधिनियम महिलाओं के संरक्षण के लिए बनाया गया है।

आज के समाज में ज्यादातर लोग महिलाओं की संरक्षण की बात करते हैं लेकिन झूठे केस के इन आंकड़ों को देखकर हमें पुरुषों के भी संरक्षण को देखना चाहिए। इसीलिए पुरुषों का उनके तलाक कानून के बारे में भी जानना आवश्यक है।

भारत में पुरुषों के लिए तलाक कानून हिंदू विवाह अधिनियम भारतीय तलाक अधिनियम विशेष विवाह अधिनियम सहित विभिन्न अधिनियम द्वारा शासित होते हैं। विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत केवल महिलाओं को ही तलाक मांगने का अधिकार है। लेकिन भारतीय तलाक कानून के अनुसार पति या पत्नी दोनों में से कोई भी व्यक्ति तलाक के लिए फाइल कर सकता है।

भारत में पुरुषों के लिए तलाक का अधिकार

भारत में पुरुषों के लिए तलाक के कई अधिकार है हालांकि या अधिकार महिलाओं के लिए भी लागू होते हैं जो कि इस प्रकार है –

व्यभिचार

यहां पर व्यभिचार का अर्थ है कि पति के होते हुए यदि पत्नी किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाती है या फिर पत्नी के होते हुए पति किसी और व्यक्ति के साथ संबंध बनाता है तो यह भारतीय दंड संहिता के तहत एक दंडनीय अपराध है।

यदि पति या पत्नी दोनों में से कोई भी व्यक्ति व्यभिचार करता है तो पति इस आधार पर पत्नी पर तलाक के लिए फाइल कर सकता है।

क्रूरता

क्रूरता शारीरिक या मानसिक हो सकती है। अगर पत्नी अपने पति के साथ या पत्नी अपने पति के साथ शारीरिक या मानसिक रूप से क्रूरता करती है या प्रताड़ित करती है तो वह इस आधार पर तलाक के लिए फाइल कर सकता है।

परित्याग

परित्याग जिसे हम Deseration भी कहते हैं। यदि कोई पत्नी अपने पति को 2 साल की लगातार अवधि के लिए छोड़ देती है तो पति उस व्यक्ति के ऊपर परित्याग के आधार पर तलाक के लिए फाइल कर सकता है।

अक्सर लोगों का यह भी प्रश्न होता है कि अगर पत्नी तलाक देने के लिए राजी नहीं है तो क्या करें तो यहां पर यदि आपकी पत्नी आपके साथ लगातार दो वर्षों से नहीं रह रही है तो आप उन्हें इस आधार पर तलाक दे सकते हैं।

धर्म परिवर्तन

यदि कोई पति या पत्नी अपने किसी दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं तो पति या पत्नी उस व्यक्ति को धर्मांतरण के आधार पर तलाक दे सकता है।

मानसिक विकार

यदि कोई पति या पत्नी किसी मानसिक विकार से पीड़ित है जिससे शादी को जारी रखना असंभव है तो पति इस आधार पर पत्नी के ऊपर तलाक फाइल कर सकता है।

विवाह का अपरिवर्तनीय टूटना

यदि पति और पत्नी दोनों ही विवाह को नहीं संभाल पा रहे हैं और यह विवाह टूटने की कगार पर है और उसे वापस से नहीं संभाला जा सकता तो भी पति या पत्नी इस आधार पर तलाक फाइल कर सकते हैं। तो यह कुछ ऐसे आधार है जो पति और पत्नी दोनों के लिए ही लागू होते हैं।

तलाक अधिनियम के अनुसार बच्चों की Custody

बच्चों को शामिल करने वाले तलाक के मामलों में Child Custody सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। अक्सर पति या पत्नी जब भी तलाक लेते हैं तो इनका सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बच्चों की निगरानी होता है।

भारत में बच्चे की कस्टडी बच्चे के कल्याण के आधार पर दी जाती है। अदालत किसी भी माता-पिता को कस्टडी देने से पहले बच्चे की उम्र स्वास्थ्य शिक्षा और जीवन स्तर सहित विभिन्न कारकों पर विचार करती है। ज्यादातर मामलों में अदालत माता-पिता दोनों को संयुक्त कस्टडी देने का निर्णय लेती है।

अगर पति या पत्नी आपस में ही बच्चों की कस्टडी के लिए निर्णय लेते हैं तो उनकी बातों को भी स्वीकार कर सकती है। और जो ज्यादा सही ढंग से बच्चों को संभाल सकता है उसी को बच्चों की निगरानी करने का आदेश देती है।

तलाक के बाद Alimony

गुजारा भत्ता जिसे मेंटेनेंस के रूप में भी जाना जाता है तलाक के बाद एक पति या पत्नी द्वारा एक दूसरे को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता है। यानी कि पति और पत्नी दोनों को ही एलुमनी फाइल करने का आधा अधिकार है। जी हां तलाक के बाद एक पति भी पत्नी के ऊपर Alimony फाइल कर सकता है।

भारत में गुजारा भत्ता उस पति या पत्नी को दिया जाता है जो आर्थिक रूप से खुद का समर्थन करने में असमर्थ है। गुजारा भत्ता की राशि अदालत द्वारा निर्धारित की जाती है और यह विभिन्न कारकों पर आधारित होती है जिसमें विवाह की अवधि दोनों पति-पत्नी की कमाई की क्षमता और विवाह के दौरान जीवन स्तर शामिल है।

कई बार पति को ही गुजारा भत्ता देने के लिए चुना जाता है लेकिन अगर पति यह साबित कर देता है कि वह अपनी कमाई से खुद का गुजारा करने में भी पूरी तरह से असमर्थ है तो पति को किसी भी तरह का गुजारा भत्ता नहीं देना पड़ता है।

इसके अलावा यदि पति कोर्ट में यह साबित कर दें कि पत्नी ने किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर ली है या पत्नी का किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध है तो वह व्यक्ति गुजारा भत्ता देने से बच सकता है।

भारत में पुरुषों के लिए तलाक फाइल करने की प्रक्रिया

भारत में तलाक की प्रक्रिया तलाक के आधार और जोड़े पर लागू कानूनों के आधार पर भिन्न होती है। सामान्य तौर पर तलाक की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं।

  • अपने लिए एक सही वकील को ढूंढना।
  • वकील के माध्यम से उपयुक्त अदालत में तलाक के लिए पिटिशन फाइल करना
  • पत्नी को तलाक की कॉपी भेजना
  • डिवोर्स फाइल का जवाब देना
  • काउंसलिंग सेशन में भाग लेना
  • अदालत की सुनवाई में भाग लेना
  • तलाक मिल जाने पर अंतिम तलाक डिक्री प्राप्त करना

तो कुछ इस प्रकार के अधिनियम भारत में पुरुषों के लिए बनाए गए हैं जिसके अनुसार कोई भी पुरुष अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए समर्थ है।

पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून – FAQs

शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते हैं

यदि शादी के बाद पति-पत्नी एक साल तक एक दूसरे से अलग रहते हैं तो तलाक फाइल किया जा सकता है।

एकतरफा तलाक कैसे होता है?

एकतरफा तलाक के लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (13) बनाया गया है। अदालत में तलाक फाइल कर सकता है।

आदमी तलाक कैसे ले सकता है?

इस लेख में हमने आदमियों द्वारा तलाक लिए जाने के सविता लाख कानूनों के बारे में जानकारी दी है। कृपया लेख को पूरा जरूर पढ़े।

पति पत्नी को कब तलाक दे सकता है?

ऐसे विभिन्न कारण है जिसके आधार पर पति अपने पत्नी को तलाक दे सकता है। इस लेख में हमें उन सभी कारणों के बारे में चर्चा की है।

तलाक लेने में कितना खर्च आता है?

तलाक लेने में मुख्य रूप से वकीलों का ही खर्चा आता है। जहां पर ₹10000 तक के खर्चे में एक सामान्य तलाक लिया जा सकता है।

तलाक के बाद पत्नी को क्या मिलता है?

तलाक के बाद पत्नी को बहुत सारा सामान वापस कर दिया जाता है जो पत्नी का है जैसे उसके आभूषण, बीमा पॉलिसी, बांड, फिक्स डिपाजिट, इत्यादि।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने पुरुषों के लिए भारत में तलाक कानून के बारे में जानकारी प्राप्त की। उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको पुरुषों के लिए बनाए गए तलाक कानून के बारे में जानकारी मिल पाई होगी। यदि आप इस विषय से संबंधित कोई अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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